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बन्द / अरुण चन्द्र रॉय

4 bytes added, 09:28, 26 सितम्बर 2019
<poem>
वे चाहते हैं
होठ होंठ सिले रहें
और बन्द हो जाएँ
स्वर
बनाने को मुट्ठी
जो उठे प्रतिरोध में
 
ठिठके रहे
क़दम
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