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बर्फ / अरुण चन्द्र रॉय
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10:06, 26 सितम्बर 2019
'''1'''
बर्फ़
बोलते
बोलती
नहीं
पत्थरों की तरह
वे पिघलते
वह पिघलती
भी नहीं
इतनी आसानी से
वे
वह
फिर से जम
जाते हैं
जाती है
ज़िद्द की तरह ।
अनिल जनविजय
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