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मेहमान / इद्रा नोवे / अनिल जनविजय
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16:26, 17 अक्टूबर 2019
<poem>
क्या ऐसा कोई पकवान नहीं है, जिससे टपक रही हो चटनी
पूरे फ़र्श पर। क्या वो स्पैनियल कुत्ते से
के मुक़ाबले
अजगर बन गया है,
किसी द्रव्य से ज़्यादा ज्वलनशील हो गया है,
मेरी जकड़ में शिथिल हो गया है, या मेरी रसोई में
अनिल जनविजय
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