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बीच में कोई न हो
खटकरम सब व्यस्तताएँ ज़िन्दगी के की लुप्त हों
कष्ट, चिंताएँ सभी ही सुप्त हों
दृष्टि बाँधे
बस गदोलीगदोरी 
गुदगुदाती तुम रहो