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कौन सा सच खोजते हो / प्रताप नारायण सिंह
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19:37, 6 नवम्बर 2019
और माया, तो कहो
अस्तित्व उनका क्या भला ?
जनमता मरता रहा है
कोइ सिखलाती नहीं गीता
पलायन, विमुखता
बस कर्म ही सबसे बड़ा।
</poem>
Pratap Narayan Singh
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