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[[Category: सेदोका]]
<poem>
1छुपा है चाँदआँचल में घटा के हुई व्याकुल रातकहे किससेअब दिल की बात गिरे ओस के आँसू।2उमग पड़ी,खुशबू की सरितापुलकित शिराएँ ।‘ नहीं छोड़ेंगे’-कहा जब उसने,थी महकीं दिशाएँ ।3लहरा गया सुरभित आँचल,धारा बनकरकेबहे धरा पेसुरभित वचन ;महका था गगन ।4बीता जीवनकभी घने बीहड़कभी किसी बस्ती मेंकाँटे भी सहेकभी फ़ाक़े भी किएपर रहे मस्ती में ।5तुमसे कभीनेह का प्रतिदान माँगूँ तो टोक देनाफ़ितरत है-भला करूँ सबकाबुरा हो ,रोक देना ।
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खाए हैं घाव