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10:45, 29 नवम्बर 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राजेन्द्र देथा
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<poem>
देश-दुनिया रा सगळा
"लिखेरा"
अर वां री जमातां ज्यूं कै-
मिनखवाद,
जथारथवाद,
राष्ट्रवाद,
सागै ही
फलाणवाद-ढींकडवाद।
परौटेला वे जद
आपरै साहीत्
रौ ऐक टूकडौ
आप माथै ई,
ठीक ऊण दिन
आवैला निज घी ज्यूं
एक घणमूंगी पोथी
जकै रै साम्हीं नीं
टिकैला कोई दूजी पोथियां!
</poem>