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12:27, 29 नवम्बर 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र देथा
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
जिस दिन पूछा जाएगा मुझे
मेरे गाँव के अस्तित्व के बारे में
टुटी झौंपडियों के बारे में
गांव में खेल रहे नादानों के बारे में
मैं नामजद करवाऊंगा
शहर के कुछ बनियों और
गांव के कुछ नवविवाहिताओं के नाम!
</poem>
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