Changes

जलो-जलो / महेन्द्र भटनागर

713 bytes added, 18:27, 28 अगस्त 2008
New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह= विहान / महेन्द्र भटनागर }} <poem> स...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह= विहान / महेन्द्र भटनागर
}}
<poem>
संघर्षों की ज्वाला में जलो, जलो !

बलिदान-त्यागमय जीवन हो,
कारागृह भी शांति-सदन हो,
जन-हित, बीहड़ पथ पर भी चलो, चलो !

तम से ग्रस्त अवनि ज्योतित हो,
मुरझाया उपवन कुसुमित हो,
मधु-ऋतु के हित युग-हिम में गलो, गलो !

1944
Anonymous user