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जलो-जलो / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
संघर्षों की ज्वाला में जलो, जलो !
बलिदान-त्यागमय जीवन हो,
कारागृह भी शांति-सदन हो,
जन-हित, बीहड़ पथ पर भी चलो, चलो !
तम से ग्रस्त अवनि ज्योतित हो,
मुरझाया उपवन कुसुमित हो,
मधु-ऋतु के हित युग-हिम में गलो, गलो !
1944