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नई बात सोचा करते हैं / बालस्वरूप राही
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14:49, 23 जनवरी 2020
जो दुनिया को बड़े ध्यान से रह कर सजग निरखते,
आस-पास दिन-रात घटित होता जो उसे परखते।
नई बात सोचा करते हैं जो लकीर से हट कर,
उन के द्वारा ही मानव बढ़ता जीवन के पाठ पर।
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