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15:21, 18 फ़रवरी 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=ऋतु त्यागी
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<poem>
बेटी ने पिता से कहा
"जानते हो आप मेरे हीरो क्यों हो"
पिता की उत्सुक नज़रें
बेटी के चेहरे पर
चाँदनी की तरह फैल गयी
"क्योंकि आप मेरी
सहमतियों और असहमतियों के साथ
बिना किसी शर्त के
मेरे पीछे किसी वृक्ष की तरह
आकर खड़े हो जाते हो"
पिता बेटी के चेहरे को
दिप-दिप करते हुए
शाँत भाव से देख रहा था।
</poem>