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इस सुकूते फ़िज़ा में खो जाएं / फ़िराक़ गोरखपुरी
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17:24, 3 मार्च 2020
|रचनाकार=फ़िराक़ गोरखपुरी
}}
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ख़ैर कांटे तो हम न बो जाएं
िज़न्दगी
ज़िन्दगी
क्या है आज इसे ऐ दोस्त
सोच लें और उदास हो जाएं
Abhishek Amber
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