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सफ़ेद रात को / आन्ना अख़्मातवा / अनिल जनविजय
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21:52, 21 मार्च 2020
किरणों का प्रकाश अन्धेरे में खो रहा है
तेरे स्वरों की जैसे आवाज़ गूँज रही है
आवाज़ के नशे में
सूर्यास्त
मेरा ध्यान
खो रहा है
मुझे पता था कि मैं सब कुछ गवाँ चुकी हूँ
अनिल जनविजय
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