{{KKRachna
|रचनाकार=विलियम ब्लेक
|अनुवादक=शिव किशोर तिवारीअनिल जनविजय
|संग्रह=
}}
नहीं बताया किसी को, कोप बढ़ गया
डर गया मैं, क्रोध को सींचा औ’ पानी पिलायारात-दिन उसे आँसुओं से बहलायाबढ़ाया
उसे अपनी मुस्कानों का ताप दिखलाया
और छलपूर्वक उसपर कोई भ्रम सा छाया