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{{KKRachna
|रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक हरिण और तुम इंसान / सुरेन्द्र डी सोनी
}}
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<poem>
तुम्हारे हाथ में
कब था गोली न चलाना...
युद्ध-विराम तो मेरी तरफ़ से है –