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08:32, 5 जून 2020 {{KKGlobal}}
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<poem>
रउरा गाँवे जब ले सावन आइल बा
हमरा गाँवे तलई- ताल सुखाइल बा
पटना-दिल्ली बइठल रउरा का जानब -
तरवा जेठे कतना ई भउराइल बा
लेके हम आपन गगरी कहवाँ जाईं
हमरा खातिर घाट सभे कउराइल बा
जेतने पेवन सटलीं, ओतने छितराइल
जिनगी के कथरी अइसन बिधुनाइल बा
ई रोटी हमरा खातिर सपना बाटे
रउआ खातिर भलहीं ई अउराइल बा
सांच कहे के लत लागल बा जहिया ले
लोग कहेला, 'आसिफ' त बउराइल बा
</poem>