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11:37, 5 जून 2020 {{KKGlobal}}
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<poem>
हमहूँ कहीं तूहूँ कह s
हमहूँ बहीं तूहूँ बह s
दुखवा सबके एके बाटे
हमहूँ सहीं तूहूँ सह s
सबके सपना बाँचल रहे
हमहूँ रहीं तूहूँ रह s
भइयारी के हाथ ना छूटे
हमहूँ गहीं तूहूँ गह s
मन से माहुरबह के निकले
हमहूँ महीं तूहूँ मह s
दम्भ अहम के टूटे कोठी
हमहूँ ढहीं तूहूँ ढह s
</poem>