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11:27, 15 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
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<poem>
थूं
आपो-आपरी
पीठ थपथपा’र
फूल’र कुप्पो हुय जावै
काच साम्हीं
बै ईज जावै
जिकां में
साच देखण री
अर सुणण री
हिम्मत हुवै
थूं अंधारो ढोंवणियो
म्हारो भायलो
उजास री बात ई नीं करै।
</poem>
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