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पण थूं / इरशाद अज़ीज़

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वाह, थारी मुळक जे थूं अेकर फेरूं मुळक देवै साच तो म्हैं संसार रा सगळा माणक-मोती थारै ऊपर वार दूं आ है  मुळक!अेकर तो मुळक जीसा कैयो हो कै थारा सबद कविता नींबरसां पैलां भावां रो भतूळियो मांडै थारो मुळकणोथारै मांयली घिरणा रो ज्हैर सूखतै खेतां नै हर्या थारी भासा री पिछाण है अर दम तोड़तै मिनखां-डांगरां नैं कविता बो ईज लिख सकै जीवण रो वरदान दियो हो जिणरी निजरां मांय  देख टाबरां दूजां री टोळी पीड़बीं री आंख्यां आपरी पीड़ ज्यूं लागै पण थारै मांय थारा ईज सुपना बै बीज ई नीं है इणां रा खिलता उणियाराजिका कविता नैं जलम देवै कठैई कुमळाय जिको चोखो मिनख नीं जावैहोय सकै बो चोखो कवि कियां हुवैला!
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