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सुबह की नीन्द / मंगलेश डबराल
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08:09, 20 जून 2020
सुबह की नीन्द अच्छे-अच्छों को सुला देती है
अनिद्रा के शिकार लोग एक झपकी लेते हैं
और क़यामत उन्हें छुए
बगैर
बग़ैर
गुज़र जाती है
सुबह की नीन्द कहती है —
कोई हड़बड़ी नहीं,
Abhishek Amber
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