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कंचन मंदिर ऊँचे बनाई के::मानिक लाइ सदा झलकेयत।प्रात ही ते सगरी नगरी।::नगरी नाग-मोतिन ही की तुलानि तलेयत।जद्यपि दीन प्रजान प्रजापति की::प्रभुता मधवा ललचेयत।ऐसी भए तो कहा रसखानि जो::सँवारे गवार सों नेह न लेयत।
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