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आभार देना याद रखता हूँ / अंकित काव्यांश
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02:45, 3 अगस्त 2020
साथ मेरे
गुनगुनाता है सफ़र का शोर हर पल
मील का पत्थर किनारे पर चिढ़ाता फिर
गुजरता।
गुज़रता।
पाँव अनियंत्रित
Abhishek Amber
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