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बौने पेड़ों के सब पत्ते / अंकित काव्यांश
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04:36, 3 अगस्त 2020
आश्वासन की छाँव तले अंकुर फूटेगा।
नयी कोपलें उग आएँगी फिर पेड़ों पर
लोगोँ
लोगों
का विश्वास एक दिन फिर टूटेगा।
चौपट शासन पर
खुश
ख़ुश
होती है अंधी नगरी।
बौने पेड़ों के सब पत्ते चबा गयी बकरी।
</poem>
Abhishek Amber
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