978 bytes added,
13:05, 13 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
{{KKCatTraile}}
<poem>
ये दौरे-हादिसात है, इसमें अमां कहां
इस दौरे-हादिसात में जी कर तो देखिये
पल भर की भूल-चूक में सदियों का है जियां
ये दौरे-हादिसात है, इसमें अमां कहां
अर्ज़-ए-तलब करोगे तो गल जायेगी ज़बां
अर्ज़-ए-तलब के हश्र का मंज़र तो देखिये
ये दौरे-हादिसात है, इसमें अमां कहां
इस दौरे-हादिसात में जी कर तो देखिये।</poem>