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13:06, 13 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
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<poem>
मैं तुझे प्यार भी करता हूँ बहुत
कुछ मगर कहने में डर भी आये
तेरे औसाफ़ पे मरता हूँ बहुत
मैं तुझे प्यार भी करता हूँ बहुत
तेरी यादों से गुज़रता हूँ बहुत
मेरी पलकों पे गुहर भी आये
मैं तुझे प्यार भी करता हूँ बहुत
कुछ मगर कहने में डर भी आये।
</poem>