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13:10, 13 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
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<poem>
फ्रांस से आया यहां पर तराइले
अब तो भारत में भी है इसका चलन
इसके डांडे भी कहां तक आ मिले
फ्रांस से आया यहां पर तराइले
क्यों न भारत में ये खुल खेले, खिले
इसकी है अपनी अदा अपनी फबन
फ्रांस से आया यहां पर तराइले
अब तो भारत में भी है इसका चलन।
</poem>