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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
| रचनाकार= जहीर कुरैशी |संग्रह=भीड़ में सबसे अलग / जहीर कुरैशी}} [[Category:ग़ज़ल]]<poem>  
ये सच है देह के बाहर भी देखना होगा
मगर कभी —कभी अंदर भी देखना होगा