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मैं शहर हूँ / निशान्त जैन

7 bytes added, 13:42, 1 सितम्बर 2020
मुस्कानों का बोझा ढोए,
धुन में अपनी खोए-खोए
ढूँढता कुछ हर पहर हूँ।
मैं शहर हूँ।
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