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05:29, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
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<poem>
तक़दीर से कुछ और न हादी से हुआ
कब कोई बड़ा अपनी मुनादी से हुआ
तदबीरें तो सब सोच के काग़ज़ पे रहीं
जो भी हुआ क़ुव्वते-इरादी पे हुआ।
</poem>