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05:33, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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<poem>
दुनिया के हर रंग को देखा हम ने
इंसान की तीनत को भी परखा हम ने
औरों के लिए बन के जिये मशअले-राह
बे-राह भटकना नहीं सीखा हम ने।
</poem>