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05:36, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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<poem>
हम को कभी जब मुसीबतों ने घेरा
अपने ही जतन से हम ने उनको टाला
हम ने जो किया, तो अपने बल-बूते पर
औरों की तरफ नहीं मदद को देखा।
</poem>