574 bytes added,
05:38, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
{{KKCatRubaayi}}
<poem>
उसलूब जो खास अपना हो पैदा तो करो
दिल में है जो, काग़ज़ पे हुवैदा तो करो
तौक़ीर तशख़्ख़ुस की भी बढ़ जायेगी
लोगों को अपने फ़न का शैदा तो करो।
</poem>