Changes

साँसें हैं व्याकुल
जीवन बन छा जाओ।
 
-0-
(27 जुलाई 20 आदिनाथ शास्त्री)
90
तुम हो खुशबू मन की
प्यार किसे कहते
हरगिज़ ना जानेंगे
96
बोझिल तेरे नैना
मैं जागूँ यूँ ही
बीतेगी ये रैना।
-0-
 
<poem>