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गंगा की लहर / शांति सुमन
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15:12, 29 नवम्बर 2020
<poem>
एक साथ
गंगा की
लगर
लहर
फिर गिनें
सीढ़ियों पर बैठ धूपबाती जलाएं
Arti Singh
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