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पक्राउ पर्नु बेग्लै कुरो हो,
अहम् कुरो आत्मसमर्पण नगर्नु हो।
 
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'''[[बात यूँ है / नाज़िम हिक़मत / उज्ज्वल भट्टाचार्य|इस कविता का हिन्दी अनुवाद पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ ।]]'''
</poem>
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