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आप और हम सलाम भी न करें आज कल जिसका नाम चल रहा है नफ़रतें इतनी आम भी न करें उसका ख़ूब एहतराम चल रहा है
कुछ न बोलें तेरे ख़िलाफ़ मगर ख़ुद चल रहा है ये झूट तेज़ी से क्या अब क़लाम भी न करें आज कल ख़ूब काम चल रहा है
कर क़ैस तन्हा नहीं पाएं गर हिफाज़त आपहै सहरा में क़त्ल का इंतज़ाम अब हमारा भी न करें नाम चल रहा है
कुछ न कुछ हम आप फ़ुरसत में आइयेगा कभीमेरा मुझ से काम कलाम चल रहा है वर्ना आप यूँ तो सलाम भी न करें
लोग हमदर्दियां जताने लगेंजो ये कहता है करने लगते हैं दर्द को इतना आम भी न करें हम पे दिल का निज़ाम चल रहा है
सिर्फ़ उलझे रहें सियासत में
लोग क्या काम वाम भी न करें
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