भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आज कल जिसका नाम चल रहा है / राज़िक़ अंसारी
Kavita Kosh से
आज कल जिसका नाम चल रहा है
उसका ख़ूब एहतराम चल रहा है
चल रहा है ये झूट तेज़ी से
आज कल ख़ूब काम चल रहा है
क़ैस तन्हा नहीं है सहरा में
अब हमारा भी नाम चल रहा है
आप फ़ुरसत में आइयेगा कभी
मेरा मुझ से कलाम चल रहा है
जो ये कहता है करने लगते हैं
हम पे दिल का निज़ाम चल रहा है