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खोलाको तीरैमा बसिरहँदा / ईश्वरवल्लभ
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10:48, 28 दिसम्बर 2020
पर्खेर बसेँ आउँछ कि भनी तर्केर गएछ
जिन्दगीभरि लेखेको कथा अधूरो भएछ
बतास
आकाश
नीलोमा हेरिरहँदा मायालु
मन उड्छ माथि अझै कताकता मायालु
Sirjanbindu
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