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खुशबू से जो नाता (माहिया) / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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17:57, 24 फ़रवरी 2021
प्यार किसे कहते
हरगिज़ ना जानेंगे
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बोझिल तेरे नैना
मैं जागूँ यूँ ही
बीतेगी ये रैना।
-0-
<poem>
वीरबाला
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