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खुशबू से जो नाता (माहिया) / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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निर्मल तन दर्पन दूँ।
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यह चन्दन
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सी कायारोम
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रोम महका
जब तुझको पाया।
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वीरबाला
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