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यादें निकल के घर से न जाने किधर गईं / जहीर कुरैशी
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17:39, 21 अप्रैल 2021
[[Category:ग़ज़ल]]
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यादें निकल के घर से न जाने किधर गईं
जिस ओर भी गईं, वो हमेशा निडर गईं
फूलों को अपनी सीमा में रुकना पड़ा, मगर
ये खुशबुएँ हमेशा हदें पार कर गईं
</poem>
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