1,185 bytes added,
13:50, 19 मई 2021 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तीतिलोप सोनुगा
|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
इस तरह करो अपने ज़ख़्म का उपचार
(एक)
धोती हूँ इसे नमक मिले पानी से
यही है एक मात्र रास्ता
निकालने का विष को
आँसू आएँगे
आने दो उन्हें
(दो)
तुम्हें ज़रूरत होगी लगाने की
एक दवायुक्त मरहम
एक मात्र इलाज है घृणा का
और अधिक प्रेम
उदार बनो इसके प्रयोग में
(तीन)
हवा लगने दो ज़ख़्म में
ढको मत इसे तब तक, जब तक
यह न लगे पकने या सड़ने
फिर कहो जाने दो इसे
जाने दो इसे
(चार)
कभी मत
खुजलाओ इसे
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader