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कविता कनेक्शन : रिफ़्यूजी कैम्प / यशोधरा रायचौधरी / मीता दास
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08:25, 11 सितम्बर 2021
अब पैरों के बीच रहता है बहुतों का आना-जाना
अब माथे के भीतर भों-भों करता धीमा-भारी स्वर
अब कविता होगी ।
पुराने कपड़ों की भाँति
पड़ा
रहेगा सभी तरह का छल - चातुर्य।
'''मूल बांगला से अनुवाद : मीता दास'''
</poem>
अनिल जनविजय
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