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पूनम का चान्द चाँद
आज अपनी रौ में है ।
कितनी कलाएँ जानता है
बादलों से खेलता है वह
या बादल उसमें उससे खेलते हैं
इस खेल में कौन माहिर है
और कौन अनाड़ी
मुझे असमंजस में देख
मुस्कुरा रहा है चान्द चाँद ।
मैंने सोचाबढ़ियासोचाबढ़िया, खरगोश, बन्दर ने
कोशिशें तो बहुतेरी की होंगी
कि आसमान से निकाल