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इतना प्यार! / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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05:26, 17 नवम्बर 2021
आँखों में तेरी ज्योति
दीपित हो भोर -सी।
58
मन उत्फुल्ल
बरसें सुख- घन
खिले आँगन
सबकी ये दुआएँ
दुःख न पास आएँ।
</poem>
वीरबाला
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