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इतना प्यार! / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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53
इतना प्यार!
निशदिन बौछार
भीगा है मन
कहीं भी चला जाऊँ
तुम्हें भुला न पाऊँ।
54
जुड़ा सम्बन्ध
जन्मों का अनुबन्ध
कभी न टूटे
साँसें भले ही छोड़ें
तेरा साथ न छूटे।
55
सृष्टि की लय
तेरा प्यार मुझमें
हुआ विलय
सूर्य, चन्द्र, तारक
साक्षी बन गर्वित।
56
गगन भेदी
ये मेरी प्रार्थनाएँ
तुझे पुकारें
प्रणव बन साँसें
तुझमें जा समाएँ।
57
अधरों पर
तेरा नाम छलके
सुधा पान- सा
आँखों में तेरी ज्योति
दीपित हो भोर -सी।
58
मन उत्फुल्ल
बरसें सुख- घन
खिले आँगन
सबकी ये दुआएँ
दुःख न पास आएँ।
59
नेह की धूप
प्राणप्रिया बिटिया
आत्मा का रूप
मिलें जितने जन्म
साथ रहना सदा।
60
किसने भेजी
सुगन्ध पिरोकर
भाव- वल्लरी
पास आकर छुआ
वो तुम थी प्राणवायु!!
61
झरती बूँदें
हिमनद उर से
सिंचित प्राण
कोई न होगा वह
केवल तुम्हीं तो हो।