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23:04, 25 नवम्बर 2021 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राबर्ट ब्लाई
|अनुवादक=यादवेन्द्र
|संग्रह=
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<Poem>
जब हम
प्यार में होते हैं
हमें प्रिय होती है
घास-पात, झाड़-झंखाड़
खलिहान और कोठार....
बिजली के खम्भे
और रोशन रास्ते बेचारे
सूने पड़े रहते हैं
सारी-सारी रात ।
'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र
</poem>
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