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तुम / नीलमणि फूकन / दिनकर कुमार

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|रचनाकार= नीलमणि फूकन
|अनुवादक= दिनकर कुमार
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<poem>
ग़लती से
तुम्हें बिछौने पर
टटोलता फिर रहा था

तुम तो
पहाड़ की तलहटी में
तिल-फूल बनकर
खिले हुए हो ।

'''मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार'''
</poem>
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