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17:15, 16 जनवरी 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शशिप्रकाश
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|संग्रह=
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<poem>
चाहकर भी समय न निकाल सका
उदास कविताओं के लिए I
इसलिए भी शायद
ग़लतियाँ होती रही हों
पर जीवन बना रहा एक प्रयोग,
एक निष्क्रिय प्रतीक्षा नहीं I
ठण्डे दिनों से टकराता है
एक गर्म हृदय
और दबाव घट जाता है
उदासी का
और तूफ़ान का जन्म होता है !
</poem>
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